क्या बेटी अभिशाप है?

बेटी होना अभिशाप है तो,
हां हूं मैं अभिशाप,
समाज के ठेकेदारों,
पर तुम क्यों करते हो पाप ।

मेरे अस्तित्व को छिन कर,
क्या तुम चैन से सो पाओगे,
दोगे इतना दर्द तो,
भरपाई कैसे कर पाओगे।

मत लड़ो सब मेरे लिए,
मैं भी तेरा हीं अंश हूं,
दे धरती पर जन्म मुझे,
मैं भी किसी से कम नहीं हूं ।

मत मारो मां की कोख में,
दर्द होता होगा उसे भी,
मेरा क्या है, मैं तो नन्ही जान हूं,
सह जाऊंगी अत्याचार भी ।

मुझे अपना परछाई बना लो,
बस कर इतना उपकार,
अब ना कोई बेटी मरे,
ना हो मां का कोख उजाड़……….
ना हो कोई मां का कोख उजाड़….

सोनी कुमारी
बोकारो स्टील सिटी
झारखण्ड

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